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रावण के बारे में 10 रोचक तथ्य जो शायद आप न जानते हो।

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रावण हिंदू पौराणिक कथाओं के अनुसार दस सिर और 20 हाथों वाला राक्षसों का राजा था। यद्यपि राक्षस राजा रावण महाकाव्य रामायण में प्रमुख विरोधी चरित्र है, फिर भी अधिकांश लोग उसकी पृष्ठभूमि, उसकी विजय और उसके युगानुकूल ज्ञान से अवगत नहीं हैं। संक्षेप में कहने के लिए, यहां ग्यारह बड़े तथ्य हैं जो आपको रावण के बारे में जानने चाहिए: 1. रावण आधा ब्राह्मण और आधा दानव था। उनके पिता विश्वाश्रवा थे, जो पुलस्त्य वंश के ऋषि थे, और माता कैकसी एक दानव वंश की थीं। विश्वाश्रवा की दो पत्नियाँ थीं - वरवर्णिनी और कैकसी। धन के देवता कुबेर ने पहली पत्नी से जन्म लिया और रावण, कुंभकर्ण, शूर्पनखा और विभीषण कैकसी से पैदा हुए। यह रावण और उसका भाई कुंभकर्ण ही थे, जिन्होंने तपस्या कर भगवान ब्रह्मा से चमत्कारी शक्तियां प्राप्त कीं और लंका के स्वर्ण साम्राज्य पर कब्जा करने के लिए कुबेर को बाहर निकाल दिया। 2. रावण का नाम जन्म से ही रावण नहीं था, वह दशग्रीव या दशानन (दस सिर वाला राक्षस) था। एक बार जब भगवान शिव कैलाश पर्वत पर ध्यान कर रहे थे उस समय रावण ने उस पर्वत को खंडित करने की कोशिश की लेकिन भगवान शिव न

रहस्य की वो बातें जो रावण ने मरने से पहले लक्ष्मण को बताई थी

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जब राक्षस राजा रावण पर भगवान राम ने हमला किया था और उसकी मृत्यु हो गई थी, तो राम ने अपने भाई लक्ष्मण को उनके पास जाने और कुछ सीखने के लिए कहा, जो रावण जैसे उन्मादी ब्राह्मण के अलावा कोई अन्य व्यक्ति कभी भी उसे नहीं सिखा सकता था। कहानी यह है कि लंका के युद्ध के मैदान में घातक तीर चलाने के बाद, राम ने अपने भाई, लक्ष्मण से कहा, “मरने से पहले रावण के पास जल्दी जाओ और उनसे जो भी ज्ञान हो उसे साझा करने का अनुरोध करो। रावण भले ही राक्षस का राजा है, लेकिन वह एक महान विद्वान भी है। इस पर रावण ने कहा कि यदि आप एक छात्र के रूप में मेरे पास आए हैं तो आपको मेरे चरणों में बैठना चाहिए क्योंकि शिक्षकों का हमेशा सम्मान होना चाहिए और इससे यह साबित होता है की आप उनसे कुछ सीखना चाहते हैं। लक्ष्मण रावण के पास गए और इस बार वह उनके पैरों के पास खड़े हो गए। रावण ने लक्ष्मण को अपने पैरों के पास खड़ा देखकर उन्हें ऐसे रहस्य बताए जो किसी के भी जीवन को सफल बना देंगे। रावण ने कहा, जीवन का सबसे महत्वपूर्ण सबक यह है कि बुरा काम जितना हो सके उतना टालना चाहिए और अच्छे काम को जितना जल्दी हो सके कर लेना चाहिए। य

सरस्वती माता की आरती | Saraswati Mata Ki Aarti

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ॐ जय सरस्वती माता, जय जय सरस्वती माता सदगुण वैभव शालिनी, सदगुण वैभव शालिनी त्रिभुवन विख्याता, जय जय सरस्वती माता ॐ जय सरस्वती माता, जय जय सरस्वती माता सदगुण वैभव शालिनी, सदगुण वैभव शालिनी त्रिभुवन विख्याता, जय जय सरस्वती माता चन्द्रबदनि पद्मासिनि, कृति मंगलकारी मैय्या कृति मंगलकारी सोहे शुभ हंस सवारी, सोहे शुभ हंस सवारी अतुल तेज धारी जय जय सरस्वती माता बाएं कर में वीणा, दाएं कर माला मैय्या दाएं कर माला शीश मुकुट मणि सोहे, शीश मुकुट मणि सोहे गल मोतियन माला जय जय सरस्वती माता देवी शरण जो आए, उनका उद्धार किया मैय्या उनका उद्धार किया बैठी मंथरा दासी, बैठी मंथरा दासी रावण संहार किया जय जय सरस्वती माता विद्यादान प्रदायनि, ज्ञान प्रकाश भरो जन ज्ञान प्रकाश भरो मोह अज्ञान की निरखा, मोह अज्ञान की निरखा जग से नाश करो जय जय सरस्वती माता धूप, दीप, फल, मेवा, माँ स्वीकार करो ओ माँ स्वीकार करो ज्ञानचक्षु दे माता, ज्ञानचक्षु दे माता जग निस्तार करो जय जय सरस्वती माता माँ सरस्वती की आरती, जो कोई जन गावै मैय्या जो कोई जन गावै हितकारी सुखकारी हितकारी सुखकारी ज्ञान

मां दुर्गा जी की आरती | Ma Durga Ji ki Aarti

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जय अम्बे गौरी मैया जय मंगल मूर्ति । तुमको निशिदिन ध्यावत हरि ब्रह्मा शिव री ॥जय॥ मांग सिंदूर बिराजत टीको मृगमद को। उज्ज्वल से दोउ नैना चंद्रबदन नीको ॥जय॥ कनक समान कलेवर रक्ताम्बर राजै। रक्तपुष्प गल माला कंठन पर साजै ॥जय॥ केहरि वाहन राजत खड्ग खप्परधारी। सुर-नर मुनिजन सेवत तिनके दुःखहारी ॥जय॥ कानन कुण्डल शोभित नासाग्रे मोती। कोटिक चंद्र दिवाकर राजत समज्योति ॥जय॥ शुम्भ निशुम्भ बिडारे महिषासुर घाती। धूम्र विलोचन नैना निशिदिन मदमाती ॥जय॥ चौंसठ योगिनि मंगल गावैं नृत्य करत भैरू। बाजत ताल मृदंगा अरू बाजत डमरू ॥जय॥ भुजा चार अति शोभित खड्ग खप्परधारी। मनवांछित फल पावत सेवत नर नारी ॥जय॥ कंचन थाल विराजत अगर कपूर बाती। श्री मालकेतु में राजत कोटि रतन ज्योति ॥जय॥ श्री अम्बेजी की आरती जो कोई नर गावै। कहत शिवानंद स्वामी सुख-सम्पत्ति पावै ॥जय॥ दुर्गा जी की आरती mp3, माताजी की आरती डाउनलोड, माता जी की आरती mp3, दुर्गा मैया की आरती, माता की आरती इन हिंदी, लक्ष्मी जी की आरती, दुर्गा जी की आरती lyrics, दुर्गा जी की आरती pdf, durga ji ki aarti lyrics, durga ji ki aarti mp3 fr

श्री गणेश जी की आरती | Shri Ganesh Ji Ki Aarti

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जय गणेश, जय गणेश, जय गणेश देवा माता जाकी पारवती, पिता महादेवा... एकदन्त, दयावन्त, चारभुजाधारी, माथे पर सिन्दूर सोहे, मूसे की सवारी पान चढ़े, फूल चढ़े और चढ़े मेवा, लड्डुअन का भोग लगे, सन्त करें सेवा... जय गणेश, जय गणेश, जय गणेश, देवा माता जाकी पारवती, पिता महादेवा... अंधन को आँख देत, कोढ़िन को काया, बाँझन को पुत्र देत, निर्धन को माया... ‘सूर’ श्याम शरण आए, सफल कीजे सेवा, जय गणेश जय गणेश जय गणेश देवा... जय गणेश, जय गणेश, जय गणेश, देवा, माता जाकी पारवती, पिता महादेवा... गणेश जी की आरती, गणेश जी की आरती वीडियो डाउनलोड, गणेश जी की आरती song, गणेश जी की आरती pdf, जय गणेश जय गणेश आरती, गणपति बप्पा की आरती, गणपति आरती, shri ganesh ji ki aarti in hindi, ganesh ji ki aarti lyrics, ganesh ji ki aarti sunao, ganesh ji ki aarti mp3, lakshmi ji ki aarti, ganesh bhagwan ki aarti, ganesh aarti mp3

श्री लक्ष्मी जी की आरती | Shri Lakshmi Ji Ki Aarti

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ॐ जय लक्ष्मी माता, मैया जय लक्ष्मी माता । तुमको निस दिन सेवत हर-विष्णु-धाता ॥ॐ जय... उमा, रमा, ब्रह्माणी, तुम ही जग-माता । सूर्य-चन्द्रमा ध्यावत, नारद ऋषि गाता ॥ॐ जय... तुम पाताल-निरंजनि, सुख-सम्पत्ति-दाता । जो कोई तुमको ध्यावत, ऋद्धि-सिद्धि-धन पाता ॥ॐ जय... तुम पाताल-निवासिनि, तुम ही शुभदाता । कर्म-प्रभाव-प्रकाशिनि, भवनिधि की त्राता ॥ॐ जय... जिस घर तुम रहती, तहँ सब सद्गुण आता । सब सम्भव हो जाता, मन नहिं घबराता ॥ॐ जय... तुम बिन यज्ञ न होते, वस्त्र न हो पाता । खान-पान का वैभव सब तुमसे आता ॥ॐ जय... शुभ-गुण-मंदिर सुन्दर, क्षीरोदधि-जाता । रत्न चतुर्दश तुम बिन कोई नहिं पाता ॥ॐ जय... महालक्ष्मीजी की आरती, जो कई नर गाता । उर आनन्द समाता, पाप शमन हो जाता ॥ॐ जय... लक्ष्मी जी की आरती, सुबह-सुबह लक्ष्मी जी की आरती, लक्ष्मी जी की आरती वीडियो डाउनलोड, जय लक्ष्मी जी की आरती, जय लक्ष्मी माता, ओम जय लक्ष्मी माता, lakshmi ji ki aarti song, lakshmi ji ki aarti mp3, lakshmi ji ki aarti anuradha paudwal, lakshmi ji ki aarti video, lakshmi ji ki aarti sunaiye, saraswati ji ki aar

श्री हनुमान जी की आरती | Shri Hanuman Ji Ki Aarti

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आरती कीजै हनुमान लला की। दुष्ट दलन रघुनाथ कला की। जाके बल से गिरिवर कांपे। रोग दोष जाके निकट न झांके।। अंजनि पुत्र महाबलदायी। संतान के प्रभु सदा सहाई। दे बीरा रघुनाथ पठाए। लंका जारी सिया सुध लाए।। लंका सो कोट समुद्र सी खाई। जात पवनसुत बार न लाई। लंका जारी असुर संहारे। सियारामजी के काज संवारे। लक्ष्मण मूर्छित पड़े सकारे। आणि संजीवन प्राण उबारे। पैठी पताल तोरि जमकारे। अहिरावण की भुजा उखाड़े।। बाएं भुजा असुर दल मारे। दाहिने भुजा संतजन तारे। सुर-नर-मुनि जन आरती उतारे। जै जै जै हनुमान उचारे।। कंचन थार कपूर लौ छाई। आरती करत अंजना माई। लंकविध्वंस कीन्ह रघुराई। तुलसीदास प्रभु कीरति गाई।। जो हनुमानजी की आरती गावै। बसी बैकुंठ परमपद पावै। आरती कीजै हनुमान लला की। दुष्ट दलन रघुनाथ कला की।। हनुमान जी की आरती, हनुमान जी की आरती वीडियो, श्री हनुमान चालीसा, आरती की जय हनुमान लला की, लता मंगेशकर आरती हनुमान जी की, hanuman aarti, hanuman aarti lyrics, hanuman aarti meaning in hindi, aarti hanuman ji ki, hanuman aarti,aarti hanuman ji ki gulshan kumar, hanuman chalisa, hanuman chal